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रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन अगस्त के अंत में करेंगे भारत का दौरा, रणनीतिक साझेदारी पर होगी चर्चा

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नई दिल्ली, 8 अगस्त 2025 — भारत और रूस के बीच लंबे समय से चले आ रहे सामरिक और आर्थिक रिश्तों को एक नई दिशा देने के लिए, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन अगस्त 2025 के अंत में भारत की आधिकारिक यात्रा करेंगे। यह जानकारी रूस की इंटरफैक्स समाचार एजेंसी ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोवाल के हवाले से दी है।

दौरे का उद्देश्य

सूत्रों के अनुसार, इस यात्रा के दौरान रक्षा, ऊर्जा, व्यापार, और अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे अहम मुद्दों पर विस्तृत चर्चा होगी।
भारत और रूस के बीच यह उच्च-स्तरीय वार्ता ऐसे समय हो रही है जब वैश्विक राजनीति में बड़े बदलाव देखे जा रहे हैं, और कई देश अपनी विदेश नीतियों को पुनः परिभाषित कर रहे हैं।

अजीत डोवाल का बयान

राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोवाल ने कहा:

“राष्ट्रपति पुतिन का भारत दौरा हमारे द्विपक्षीय संबंधों के लिए एक ऐतिहासिक अवसर होगा। यह बैठक केवल कूटनीतिक सौहार्द नहीं बल्कि हमारी सामरिक साझेदारी को और गहरा करने का माध्यम बनेगी।”

पिछले रिश्तों की झलक

भारत और रूस दशकों से रक्षा और ऊर्जा के क्षेत्र में करीबी सहयोगी रहे हैं।

  • भारत की कई प्रमुख रक्षा परियोजनाओं में रूस की तकनीकी और सामरिक भागीदारी रही है।
  • ऊर्जा के क्षेत्र में, रूस भारत के लिए कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस का महत्वपूर्ण आपूर्तिकर्ता है।

संभावित समझौते

विशेषज्ञों का मानना है कि इस यात्रा के दौरान कई नए समझौते हो सकते हैं:

  1. रक्षा सहयोग — आधुनिक हथियार प्रणालियों और संयुक्त सैन्य अभ्यासों पर समझौते।
  2. ऊर्जा साझेदारी — परमाणु ऊर्जा और हाइड्रोकार्बन परियोजनाओं में निवेश।
  3. व्यापार विस्तार — द्विपक्षीय व्यापार को 2030 तक दोगुना करने का लक्ष्य।

विशेषज्ञों की राय

अंतरराष्ट्रीय मामलों के विशेषज्ञ डॉ. अनिल मेहता ने कहा:

“यह यात्रा भारत की विदेश नीति में संतुलन बनाए रखने की रणनीति का हिस्सा है। भारत अमेरिका, यूरोप और रूस—सभी के साथ साझेदारी मजबूत करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है।”

भारत के लिए महत्व

यह यात्रा भारत के लिए कई मायनों में अहम है:

  • रक्षा खरीद और उत्पादन में नए अवसर
  • ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करना
  • वैश्विक मंचों पर रणनीतिक समर्थन

निष्कर्ष

राष्ट्रपति पुतिन की यह यात्रा भारत-रूस संबंधों के भविष्य को परिभाषित करने में मील का पत्थर साबित हो सकती है। अब सबकी निगाहें अगस्त के अंत में होने वाली इस ऐतिहासिक बैठक पर टिकी हैं।

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